( तर्ज : धन्य तब करणी ० )
बुलौवा आया , उठो चलो भागो ।
अदालत पेश करो जागो || टेक ||
गये दिन बीते फुहड कमाई के
मजे लूटते , दुहाई के ।
जिंदगी करे , चार उधाई के
कटे दिन सभी बडाई के
नहीं की सेवा , कारज साँई के
नाम गाये न कन्हाई के
याद अब रखो , झूठ जगत त्यागो ||
अदालत ० ॥ १ ॥
पटेली करो , बुरी जबाँ बोली ।
प्रेम की गठडी नहि खोली ।
भाग थे बड़े , उमर सदा डोली ।
जवानी राब - राब धोली ।
बुढापा आया , खटियोंपर भागो ।
अदालत ० ॥२ ॥
रही अब थोडी , मरने को साखी ।
तार की हिचकी है बाकी ।
देर ना रही करो करो हाँकी
पड़ी अब कदम कन्हैय्या की ।
नहीं तो गयी लाज पड़ी फीकी ।
लगी जंजीर पुकारी की ।
हुशारी करो , प्रभु के पग लागो ।
अदालत ० ॥३ ॥
खरीदो यहाँ जिस कारण आये ।
कदम बोसी से मन भाये ।
रटो प्रभु सदा मन में पग छाये ।
मस्त हो हरि के गुण गाये ।
दास तुकड्या का सुनलो कहना ये
बख्त फिर ऐसी ना आये ।
रंगो रंग लावो, दुनिया से भागो ।
अदालत ० || ४ ||
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